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नवजात शिशु और माता-पिता : एक वर्ष से कम आयु के बच्चों के विषय में।

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युगों से जब नवजात शिशु हमारे बीच  जन्म लेता है तो तरह-तरह का उत्सव मनाया जाता है। यह उत्सव हम क्यों मनाते है? न तो हमारे यहाँ किसी की दौलत मिली है, और न ही कोई नेता, अभिनेता या किसी बड़े आदमी का आगमन हुआ है। यह तो एक सिर्फ छोटा सा बच्चा जन्म लिया है तो फिर भी इतना सब कुछ करने की परंपरा  युगों से क्यों चली आ रही है।  नवजात शिशु यह एक रहस्य है, जिसका बड़े-बड़े वैज्ञानिक विद्वान भी पता नहीं लगा सके। नवजात शिशु बिना स्कूल गए जीवन के मूलाधार जानता है।  उसको  अलौकिक शक्ति के द्वारा यह पता है।  विवेकपूर्वक निर्णय लेना  समझदारी से अपने सामान की रक्षा करना, और   पाने की चेस्टा हमेशा करना  कुछ उदहारण जिसे हम महसूस करते है, विवेकपूर्ण निर्णय लेना नवजात शिशु का विवेक इतना तीव्र होता है कि  3-4 महीने में ही  हमलोग महसूस करते है, अच्छे और बुरे लोगों की मनोदशा समझकर गलत नियत रखने वाले व्यक्ति के पास नहीं जाना चाहता, जबरदस्ती करने पर विवश होता है इसलिए तेज आवाज में रोने लगता है।  समझदारी से अपने सामान की रक्षा करना बच्चे को 4-5  महीने पूरा करते-करते हमलोग यह आभास करते है की  बच्चा अपना जरुरी सामान खिलौना